भेड़ियों की दुनिया
पहला दृशय,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
क्यों बे फिर माँगेगा,,,,,, चौराहे पे भीख,,,,?
यातायात पोलीस का एक अदना सा सिपाही लाल बत्ती चौराहे पर भीख माँगते हुए एक भिखारी को लात घूँसो से मार रहा था ,
भिखारी बार बार निरीह भाव से चिल्ला चिल्ला कर हाथ जोड़कर , सिपाही से छोड़ने के लिए निवेदन कर रहा था ,
उसकी भीख मे माँगी हुई , सारी चिल्लर (रेजगारी) उसकी झोली से छिटक कर , ख़ान खनाती आवाज़ से सड़क पर बिखर चुकी थी
वाहनो का एक रेला बत्ती लाल होने पे रुकता था , तथा, हरी होने पे सायँ सायँ करता निकल जाता था , परन्तु किसी को जैसे उनकी तरफ देखने का समय ही नही था, समय हो भी क्यों , क्यों की कलयुगी मानव , पूरी तरह स्वार्थी हो चुका है , उसे क्या लेना देना इन छोटी मोटी घटनाओ से ,
आज भिखारी को , 1-2 के सिक्के मिलाकर कुल तकरीबन 25 रुपये की आमदनी हुई थी ,सोचा था , छोटे छोटे बच्चों की भूख तो डबल रोटी से मिट जाएगी , पर ना जाने कैसे उस पोलीस वाले की नज़र उस पर चली गई और पूरे अरमान चूर चूर हो गये ,
पूरी दुनिया मे भिखारियों की कमी नही है , हालाँकि कुछ देशों मे भीख माँगना एक जुर्म है , बस इस धंधे मे शिक्षा और मेहनत की ज़्यादा ज़रूरत नही होती , मात्र थोड़ा सा अभिनय और रोनी सूरत से काम चल जाता है
आख़िर उस पोलीस वाले ने भिखारी को अधमरा कर दिया था , पोलीस वाले ने उसे , ईमानदारी का रंग , और वर्दी का रौब दिखाते हुए ,भविष्य मे किसी भी चौराहे पे भीख न माँगने की कसम दिलाई , और उसे छोड़ दिया
भिखारी की सांस मे सांस आई , पर वो उन बिखरे हुए सिक्कों को वापस उठाने का साहस न जुटा पाया , सिक्के ऐसे ही सड़क पर बिखरे पड़े रहे , आने जाने वाले वाहनो के टायर उन्हे रौन्दते रहे , और इस प्रकार लक्ष्मी का अपमान होता रहा , कहते हैं की सिक्के की खनक मे बड़ा दम होता है , परन्तु यहाँ तो चूं की आवाज़ भी नही आई
भिखारी ने मन ही मन पोलीस वाले को सैंकड़ो गालियाँ दी , मेरे भूखे बच्चों की बद्दुआ तुझे लगेगी , काश तू भी मेरी तरह भिखारी हो जाए तो तुझे भी मेरी तरह कोई लात घुसे मारे ,
एक लाचार भिखारी इसके सिवा और कर भी क्या सकता था , आज तो भिखारी का पूरा दिन बेकार चला गया था ,और उपर से मार , यहाँ सिपाही की भेड़िया प्रवर्ती ने भिखारी का पूरा प्रोग्राम चौपट कर दिया था
दूसरा दृशय,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
वही चौराहा , वही सिपाही ,
एक लंबी चौड़ी कार अकस्मात लाल बत्ती को पर कर गई , सिपाही ने एक लंबी सिटी मारी और कर के आगे खड़े होकर कैसे भी कार को रुकवा लिया , कार की चालक सीट पे बैठे , चालक ने पीछे बैठे अधेड़ उम्र के सेठ को बोला , सेठ जी इस सिपाही का चाय पानी करा दो
चाय पानी , नही नही , पूरा 100 रुपये का चलान कटेगा , लाल बत्ती लाँघने पे 100 रुपये का चलान है , सिपाही ने अपने फटटे मे लगे हुए खाली चलान की तरफ पेन बढ़ाने का नाटक किया ,
सेठ ने तपाक से जेब से 50 रुपये का नोट निकाला , और सिपाही की तरफ बढ़ा दिया , सिपाही के मूह मे पानी आ गया , उसने फटाक से 50 का नोट अपनी पतलून की जेब मे ठूंस लिया , और सेठ को एक सलाम मारकर , चालक की तरफ़ घूर कर बोला , गाड़ी ठीक से चलाया करो ,और लाल बत्ती का ध्यान रखा करो , हो गया ना सेठ जी का कीमती वक्त जाया , जैसे उसको , सेठ के समय की कीमत तो पता थी ,परन्तु उन 50 रुपयों तथा , सड़क पर बिखरे हुए भिखारी के माँगे गये सिक्कों की कोई कीमत नही थी
बड़े भिखारी के पास भीख माँगने की बा क़ायदा वर्दी और आज्ञा थी , आज उसकी जेब मे इसी तरह 1250 रुपये आ चुके थे , 25 लोगों के वह वयक्तिगत चलान काट चुका था ,और सरकार के खाते मे कुछ जमा नही हुआ था ,जो की ये दिखाने के लिए काफ़ी था की हम कितनी निष्ठा और कर्तव्य से काम कर रहें की एक आदमी ने भी क़ानून का उलंघन नही किया और एक भी सरकारी चलान नही कटा , इसी तरह लगातार चलता रहा तो सिपाही की तरक्की पक्की थी
तीसरा दृशय,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सिपाही की पत्नी , दर्द से कराह रही थी , उसे प्रसव पीड़ा हो रही थी , एक निजी अस्पताल मे भर्ती , उसकी पत्नी को को किसी भी क्षण नया मेहमान आने का इंतजार हो रहा था , अस्पताल की बेंच पर बैठा सिपाही , नर्स के किसी , खुशी के समाचार सुनने की बाट जोह रहा था , भिखारी का चेहरा गाहे-बगाहे उसकी नज़रों मे घूम जाता था ,
यहाँ पाठकों को एक बात बताना चाहूँगा की इंसान का स्वभाव ऐसा है की वा किए हुए किसी छोटे से छोटे गुनाह को भी भूल नही पाता , रह रह कर उसके दृश्य उसके सामने घूमते रहते हैं
नर्स बाहर आई , सिपाही के चेहरे पर एक अजीब भाव उत्पन्न हुए ,
बहुत दुख का समाचार है की बच्चे को नही बचाया जा सका , परन्तु मा ख़तरे से बाहर है , सिपाही एक दम बेहोशी सी की हालत मे आ गया , डाक्टरों ने बताया की ज़्यादा खून बहने की वजह से अब दोबारा मा बनने का कोई अवसर नही है , सिर्फ़ जिंदगी बचाई जा सकी
सिपाही की पूरी रिश्वत खोरी और मेहनत की जमा पूंजी अस्पताल मे स्वाहा हो चुकी थी , उसके इलावा वंश बेल बढ़ाने का अवसर भी ख़त्म, सच मे यहाँ पर वो दूध वाले की कहानी याद आती है जिसने दूध मे पानी मिलाकर पैसा कमाया था , और वो पैसे की पोटली बंदर ने उठाकर आधा पैसा पानी मे फेंक दिया था , क्यों की प्रकृति के न्याय से आज तक कोई नही बचा
एक माह गुजर चुका है , वही चौराहा , वही सिपाही , और वही बड़ी बड़ी गाड़ियों वाले लोग , सब कुछ सामान्य था , सिपाही का लेन देन का काम बदस्तूर जारी था , जब आदमी की जमा पूंजी स्वाहा हो जाती है तो आदमी का लालच और बढ़ जाता है , सिपाही अब ज़्यादा गाड़ियों से पैसा वसूली करने लगा ,
किसी भी चीज़ की अति बड़ी बुरी चीज़ होती है, धीरे धीरे किसी ने यह खबर भ्रष्टाचार निरोधी दस्ते को पहुँचा दी , सिपाही रंगे हाथों पकड़ लिया गया , मुक़दमा चला, नौकरी गई , न्यालय ने 3 साल की बा-मुशक्कत क़ैद सुनाई ,
आज सिपाही क़ैद मे भिखारियों की तरह कर्मों का फल काट रहा है , मेहनत करके क़ैद की जाली हुई और रूखी सुखी रोटी से पेट भर रहा है ,
2 साल बाद सिपाही की क़ैद मे दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई , उसे पापों का प्रायशचित करने का मौका भी नही मिला , उसने सोचा था की 1 साल बाद जब क़ैद से रिहा हो कर जाऊँगा तो दुनिया के सामने एक आदृश मानव बन कर दिखाऊंगा , परन्तु सपने दफ़न हो गये
समाप्त
सार--------इस छोटे से सिपाही की ये दशा हुई तो इन बड़े घोटाले करने वाले नेताओं की क्या दशा होगी ?
जय हिंद
संकलन द्वारा कड़वा सच
http://tl.gd/ka412l · Reply
Report post (?)

No comments:

Post a Comment