लोक तंत्र और भारत
वैसे तो लोक शब्द का मतलब होता है लोग , और तंत्र का मतलब होता है व्यवस्था , यानी लोगों की व्यवस्था , और लोक शब्द से प्रचलित , लोकपाल ,लोक लाज, लोक सत्ता , लोक दल , लोक जन शक्ति आदि आदि , ये सभी लोगों से ही जुड़े हुए हैं , और भारत मे लोकतंत्र शब्द का प्रयोग ना हो तो भारत अधूरा है लेकिन ये कभी सपष्ट नही हुआ की लोकतंत्र पुरुषों के लिए है या महिलाओं के लिए ? धरमो के लिए है या जातियों के लिए?
अभी अभी कुछ घटनाए हुई , बिहार के एक गाँव मे , महिलाओं के मोबाइल रखने पे रोक लगा दी गई , और दूसरी घटना मे हरयाणा के भिवानी मे महिलाओं के जींस पहनने पे रोक लगा दी गई , कुछ दिन पहले ही खाप पंचायत का फरमान था की 13 साल की कच्ची उमर मे लड़की की शादी कर दी जाए , कन्या भूर्ण हत्या तो उतरी भारत मे आम है , और इसी लोकतंत्र मे लाखों महिलाएँ दहेज की बलि चढ़ा दी गई
इसी लोक तंत्र मे इस्लाम और हिंदू धर्म के अलग अलग पैमाने हैं , आप हिंदू से मुसलमान बनो , ठाठ से 4 शादियाँ करो , मन मे आए जब तलाक़ दो , कितनी ही फ़िज़ा , भारत मे इस दोगले पैमाने की भेंट चढ़ गई , और तो और यहाँ मुसलमानो के लिए अलग लोक तंत्र और हिंदुओं के लिए लोकतंत्र की परिभाषा अलग
भारत मे लोकतंत्र का असली मतलब चुनाव समझा जाता है , क्यों की लोगों की चुनी हुई सरकार 5 साल फिर लोगों पे राज करती है , लेकिन क्या आप जानते है , आपके पास लोकतंत्र का सिर्फ़ एक दिन होता है और वो होता है चुनाव का दिन , उसके बाद लोकतंत्र की चिड़िया भी आपके हाथ नही आती , हम वोट इसलिए देते हैं की नेता हमारे लोकतंत्र की रक्षा का वादा करता है , लेकिन ठीक वोट के अगले दिन उसका हर वादा पलट जाता है , फिर हमारे हाथ मे लोक तंत्र की कोई ताक़त नही रहती , और हम मन मसोस कर रह जाते
लोक तंत्र मे कुछ व्यवस्थाएँ होती हैं जैसे पोलीस , न्यालय, बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने के लिए सरकार दफ़्तर , शिक्षण संस्थान आदि आदि , लेकिन अगर आप इनके फेर मे फँस गये तो , आपको ये भी याद नही रहेगा की लोकतंत्र भी कोई शब्द होता है , इन सभी जगहों पे कहीं भी नही लिखा होता की लोकतंत्र का राज है
लोक तंत्र मे एक संसद भी होती है , जिसका काम अपने नागरिको की सुविधा के हिसाब से क़ानून बनाना या पुराने क़ानून मे बदलाव करना होता है , लेकिन यही संसद , सुचारू रूप से नही चल पाती और इस पर करोड़ों रुपया रोज़ का खर्च होता है ,संसद का 90 % समय बर्बाद करना आज फैशन बन गया है संसद कभी ठप्प हो जाती है , कभी समाए बर्बाद करने के लिए बेतुकी बातें छेड़ दी जाती हैं , एक दिन तो सान्पो और सपेरो की बात होने लगी , सच कहता हूँ दोस्तो , 2 घंटे बर्बाद कर दिए , एक सांसद ने कहा की मैं तो गाँव मे साँप काटे का इलाज़ , जादू टोना कर करता था , इसीलिए सांसद बना , और ना जाने कितनी अनर्गल बातें इसी विषय पे , संसद के हो हल्ले मे आधी बातें तो पल्ले ही नही पड़ती
लोक तंत्र मे एक जीव और होता है संचार माध्यम , जिसका काम होता है खबरें देना और संस्कृति का विकास करना , लेकिन ये जीव ऐसा है जो खबरें तो बेच ही देता है , और संस्कृति के भी चिथड़े चिथड़े उड़ा देता हैं , अभी अभी ज़ी और जिंदल के बीच 100 करोड़ का फड़डा हुआ , जो आपको मालूम ही होगा , सोनी टी वी पे एक प्रोग्राम आता है कॉमेडी सर्कस , उसके द्वि अर्थी सवांद सुन कर , किसी निर्लज़्ज़ को भी लज़्ज़ा आ जाए , वहाँ एक देवी , अर्चना पूरणसिंघ , बड़ी निर्लज़्ज़ता से हो हो करके उन्ही द्वि अर्थी सवांदों पे ज़ोर ज़ोर से हँसती है , ये वो ही अर्चना पूरणसिंघ है जो पति के साथ अन्ना का अन शन तुड़वाने आई थी , किसी सामाजिक संगठन की हिम्मत नही की इस प्रोग्राम के खिलाफ कोई कदम उठाए , संस्कृति तार तार हो रही है , इस देवी को भी उन सवांदों पे ही मज़ा आता है
लिख तो मैं और भी बहुत कुछ सकता था लेकिन सोचा आप पढ़ते पढ़ते नीरस ना हों जाए , इसलिए बस इसको छोटा ही रखा है
जय हिंद
संकलन द्वारा कड़वा सच


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